परमात्मा प्राप्ति के लिए लिए केवल इच्छाशक्ति ही पर्याप्त है

परमात्मा प्राप्ति के लिए लिए केवल इच्छाशक्ति ही पर्याप्त है

जीव में एक तो चेतन परमात्मा का अंश है और एक जड़ प्रकृति का अंश है। चेतन अंश की प्रमुखता से वह परमात्मा की इच्छा करता है, जबकि जड़ अंश की प्रमुखता से वह संसार की इच्छा करता है। इन दोनों इच्छाओं में, परमात्मा की इच्छा पूरी होती है, लेकिन संसार की इच्छा कभी पूरी नहीं होती। कुछ सांसारिक इच्छाएं (प्राप्ति के पश्चात उसका वियोग दुखदायी होता है) पूरी होती दिखती हैं, लेकिन वास्तव में वे पूरी नहीं होतीं। इसके बजाय, संसार की आसक्ति के कारण अन्य नई-नई कामनाएं उत्पन्न होती रहती हैं।

सांसारिक इच्छाओं (भौतिक वस्तुओं) की पूर्ति मनुष्य की इच्छा के अधीन नहीं होती। जैसे यदि किसी वस्तु को प्राप्त करने की इच्छा होती है, तो केवल इच्छा करने मात्र से हम उसे प्राप्त नहीं कर सकते। उसके लिए हमें कर्म करना होगा, और कर्म के फलस्वरूप वह वस्तु हमें या तो मिलेगी या नहीं मिलेगी। इस प्रकार, कर्म द्वारा हम सांसारिक इच्छाओं को पूरा करने का प्रयास करते हैं।

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परमात्मा की प्राप्ति के लिए केवल इच्छाशक्ति पर्याप्त है

इसके विपरीत, केवल इच्छाशक्ति से हम परमात्मा को प्राप्त कर सकते हैं। इसके लिए बस हमें अपने हृदय से स्वयं को समर्पित करना होता है। परमात्मा की प्राप्ति के लिए केवल इच्छाशक्ति पर्याप्त है, इसमें किसी भी तरह के सांसारिक कर्म की आवश्यकता नहीं होती। इसका कारण यह है कि सांसारिक कर्मों का आदि और अंत होता है, इसलिए उनका फल भी आदि और अंत वाला ही होता है। अतः आदि-अन्त वाले कर्मों से अनादि अनंत परमात्मा की प्राप्ति कैसे हो सकती है?

परमात्मा की प्राप्ति भी कर्म प्रधानता से होगी

मनुष्य प्रायः यह समझता है कि जैसे कर्म की प्रधानता से सांसारिक वस्तुओं की प्राप्ति होती है, वैसे ही परमात्मा की प्राप्ति भी कर्म प्रधानता से होगी। जैसे सांसारिक वस्तुओं की प्राप्ति के लिए शरीर, इन्द्रिय, मन और बुद्धि की सहायता लेनी पड़ती है, वैसे ही परमात्मा की प्राप्ति के लिए भी इन्हीं की सहायता लेनी पड़ेगी। इसलिए ऐसे साधक जड़ता की सहायता से अभ्यास करते हुए परमात्मा की ओर चलते हैं।

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परंतु जो साधक आरंभ से ही परमात्मा के साथ अपना स्वयं सिद्ध नित्य-संबंध मानकर, और जड़ता से अपना थोड़ा सा भी संबंध न मानकर अभ्यास करता है, उसे बहुत जल्दी और सरलता पूर्वक परमात्मा का अनुभव हो जाता है।

डिस्क्लेमर: इस लेख में कोई जानकारी नही दी गई है बल्कि धार्मिक ग्रंथों, पौराणिक ग्रंथों, व्यक्तिगत चिंतन और मनन के द्वारा एक सोच है प्रस्तुत की गई है। प्रत्येक व्यक्ति की सोच इस संबंध मे अलग हो सकती है adhyatmikaura.in प्रत्येक व्यक्ति एवं समाज की सोच का सम्मान करता हैं। व्यक्ति को इस लेख से जुड़ी जानकारी अपने जीवन मे उतारने से पहले अपने विवेक का पूर्ण इस्तेमाल अवश्य करना चाहिए।

2 responses to “परमात्मा प्राप्ति के लिए लिए केवल इच्छाशक्ति ही पर्याप्त है”

  1. Sanjeev Kumar Avatar
    Sanjeev Kumar

    Echaah shakti se parmatma ko mehsoos kiya ja skta hai lekin esi echaah shakti kese jagaye ya prapt kre. Kirpya ye bataye.

  2. Vikas Soni Avatar

    drid sankalp hai icha shakti ye to apko pata hi hoga, jaisa ki apka sawal hai ki ichashakti kese jagaye. to ap kis chiz ke khoji ho kya prapt krna chahte ho jis khoj ki vyakulta manushya me hoti hai use prapt krne ke liye wo sabkuch kar gujarta hai wahi hai ichashakti. ishavar ko janane ki icha hogi jisme prabal wo ishwar swayam use dhundhte huye pahuchenge uske pas. marg milna swabhavik hai us vyakti ke liye. uska sath prakriti bhi degi

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