वेद, उपवेद, शास्त्र, पुराण और उपनिषद (Upanishad)
चार वेद
यह सर्वविदित है कि वेदों की संख्या चार है, जिसे वेद-चतुष्टयी कहा जाता है। चार वेद निम्नलिखित हैं:
- ऋग्वेद
- यजुर्वेद
- सामवेद
- अथर्ववेद
चार उपवेद
चारों वेदों के क्रमशः चार उपवेद हैं:
- स्थापत्य या शिल्पवेद
- धनुर्वेद
- गंधर्ववेद
- आयुर्वेद
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छह शास्त्र
छह शास्त्र निम्नलिखित हैं:
- न्याय शास्त्र
- वैशेषिक शास्त्र
- सांख्य शास्त्र
- योग शास्त्र
- मीमांसा शास्त्र
- वेदांत शास्त्र
अठारह पुराण
अठारह पुराण निम्नलिखित हैं:
- ब्रह्म पुराण
- पद्म पुराण
- विष्णु पुराण
- वायु पुराण
- भागवत पुराण
- नारद पुराण
- मार्कंडेय पुराण
- अग्नि पुराण
- भविष्य पुराण
- ब्रह्म वैवर्त पुराण
- लिंग पुराण
- वराह पुराण
- स्कन्द पुराण
- वामन पुराण
- कूर्म पुराण
- मत्स्य पुराण
- गरुड़ पुराण
- ब्रह्माण्ड पुराण
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108 उपनिषद
सभी उपनिषद वेदों से लिए गए हैं:
- यजुर्वेद से 51 उपनिषद
- सामवेद से 16 उपनिषद
- अथर्ववेद से 31 उपनिषद
- ऋग्वेद से 10 उपनिषद
दो महाकाव्य
- रामायण: भगवान विष्णु के 8वें अवतार श्रीराम का जीवन चरित्र और दर्शन, जो वाल्मीकि द्वारा रचित है।
- महाभारत: इतिहास की वह गाथा, जिसमें धर्म की अधर्म पर विजय का गौरवमयी वर्णन है, जो वेदव्यास द्वारा रचित है।
श्रीमद भगवद गीता
भगवान विष्णु के 9वें अवतार श्रीकृष्ण द्वारा अर्जुन को दिया गया तत्वज्ञान, जो हर धर्म का सार है।
सबका सार यही है कि :
- आत्मा अजर अमर है।
- ईश्वर एक हैं, जो विभिन्न शक्तियों में विभाजित हैं।
- जीवन का एक मात्र सार मोक्ष है।
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डिस्क्लेमर: इस लेख में दी गई जानकारी की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। यह सामग्री विभिन्न स्रोतों से संकलित की गई है और इसे केवल जानकारी के रूप में लिया जाना चाहिए। ये सभी बातें मान्यताओं पर आधारित है | adhyatmiaura.in इसकी पुष्टि नहीं करता |
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