अंबिका स्थान, आमी: बिहार का प्राचीन शक्तिपीठ

अंबिका स्थान, आमी: बिहार का प्राचीन शक्तिपीठ

भारत में अनेक तीर्थस्थल और सिद्धपीठ हैं, जो श्रद्धालुओं के लिए आस्था और भक्ति के प्रमुख केंद्र हैं। इन स्थलों पर भक्तजन अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति और सिद्धि प्राप्ति के लिए दूर-दूर से आते हैं। बिहार के सारण (छपरा) जिले में भी ऐसे ही अनेक सिद्धपीठ हैं, जिनमें से एक प्रमुख स्थल है अंबिका स्थान, जिसे ‘आमी’ के नाम से भी जाना जाता है। यह प्राचीन शक्तिपीठ अपनी धार्मिक महत्ता और पौराणिक कथाओं के लिए प्रसिद्ध है।

अंबिका स्थान का भूगोल और स्थापत्य

अंबिका स्थान सारण जिले के सोनपुर-छपरा रेलखंड पर दिघवारा स्टेशन से 5 किलोमीटर पश्चिम में गंगा नदी के उत्तरी तट पर स्थित है। इस मंदिर के गर्भगृह में एक विशाल मिट्टी की पिंडी स्थापित है, जिसे ‘माँ अंबिका’ के रूप में पूजा जाता है। पुरातत्त्वविदों के अनुसार, यह पिंडी प्राचीन काल की है और इसका धार्मिक महत्व अत्यधिक है। मंदिर में स्थित पिंडी के पास एक छोटा छिद्र है, जिसमें हमेशा एक हाथ की गहराई में पानी भरा रहता है जो कि इस पवित्र मंदिर को विशेष बनाता है। मंदिर के पिछले हिस्से में एक बगीचा और एक कुआँ है, जिसमें से एक विशाल चक्की प्राप्त हुई है। यह इतनी विशाल है कि इस चक्की को तीन-चार व्यक्ति मिलकर ही चला सकते हैं।

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मंदिर की विशिष्टताएँ और वास्तुकला

अंबिका स्थान का मंदिर चतुष्कोण और त्रिकोण शिवलिंग पर आधारित है। यह स्थल एक ऊँचा डीह या गढ़ के रूप में स्थित है। मंदिर के उत्तर में सिल्हौड़ी, दक्षिण में बिहटा, पूरब में हरिहरनाथ और पश्चिम में शिवलिंग (छपरा) स्थापित हैं। इन सभी स्थानों की दूरी समान है, जो इसे एक विशिष्ट स्थल बनाते हैं। अंबिका मंदिर के आस-पास कई अन्य महत्वपूर्ण मंदिर भी स्थित हैं, जैसे— कालीस्थान (सोनपुर), हरौली की बूढ़ी माई, कालरात्रि स्थान (हुमरी बुजुर्ग) और दिघवारा बुजुर्ग ग्राम में नकटी देवी (महिषासुर मर्दिनी) का मंदिर।

अंबिका मंदिर का चमत्कारी कुआँ

अंबिका मंदिर के पास स्थित एक बड़े कुएँ की कहानी सदियों पुरानी है, जिसे आज भी वहाँ के स्थानीय भक्त और तीर्थयात्री श्रद्धा से याद करते हैं। इस कुएँ से जुड़ी एक अनोखी दंतकथा है, जिसे वहाँ की एक महिला भक्त ने मुझे बताया। सैकड़ों साल पहले, जब श्रद्धालु और तीर्थयात्री इस पवित्र स्थल पर आते थे, उनके पास हमेशा अपने साथ खाना बनाने के लिए आवश्यक बर्तन नहीं होते थे। ऐसी स्थिति में वे कुएँ के किनारे बैठकर देवी अंबिका से विनती करते थे, “हे अंबिका भवानी! हमें खाना बनाने के लिए बर्तन दो।” इस प्रार्थना का चमत्कारिक परिणाम होता था। जैसे ही वे यह प्रार्थना करते, कुएँ का खाली हिस्सा पानी से भर जाता, और उसकी सतह पर खाना पकाने के लिए आवश्यक बर्तन तैरने लगते।

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इन बर्तनों का उपयोग तीर्थयात्री अपनी भोजन बनाने की आवश्यकता को पूरा करने के लिए करते थे, लेकिन इस कथा का एक महत्वपूर्ण पहलू यह था कि उन्हें उपयोग के बाद बर्तनों को अच्छे से धोकर वापस उसी कुएँ में डालना होता था। अगर कोई श्रद्धालु इन बर्तनों को अपने साथ ले जाने की सोचता, तो वह असंभव हो जाता। बर्तन उनके पास से गायब हो जाते और वे उन्हें वापस वहीं छोड़ने के लिए मजबूर हो जाते। अंबिका मंदिर का यह चमत्कारी कुआँ सदियों से भक्तों की आस्था का केंद्र बना हुआ है और आज भी यह कथा लोगों के दिलों में जीवित है।

पौराणिक कथा

अंबिका स्थान से जुड़ी कई पौराणिक और दंतकथाएँ प्रचलित हैं। इनमें से एक प्रमुख कथा प्रजापति दक्ष द्वारा आयोजित यज्ञ से संबंधित है। इस कथा के अनुसार, प्रजापति दक्ष ने महादेव को यज्ञ में आमंत्रित नहीं किया था, जिससे महादेव की पत्नी माँ सती ने यज्ञाग्नि में आत्मदाह कर लिया। भगवान शिव ने सती के अधजले शरीर को लेकर तांडव किया, और जहाँ-जहाँ सती के शरीर के अंग गिरे, वहाँ शक्तिपीठ बने।

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दूसरी प्रमुख कथा ‘मार्कंडेय पुराण’ में वर्णित है, जिसमें राजा सुरथ और समाधि वैश्य की कथा आती है। इन दोनों ने अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए अंबिका माँ की आराधना की और अंततः माँ के दर्शन पाकर अपनी मनोकामनाएँ पूर्ण कीं। यह कथा ‘दुर्गा सप्तशती’ का एक हिस्सा है।

अंबिका स्थान की महत्ता

अंबिका स्थान में शारदीय और वासंती नवरात्रों के दौरान दूर-दूर से बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं। यहाँ भक्तजन माँ अंबिका की पूजा-अर्चना करते हैं और तंत्र-साधना भी करते हैं। इस स्थल की धार्मिक महत्ता और यहाँ की पौराणिक कथाएँ इसे एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल बनाती हैं, जहाँ भक्त अपनी आस्था और भक्ति से ओत-प्रोत होकर आते हैं।

अंबिका स्थान, आमी, बिहार का एक प्राचीन और महत्वपूर्ण शक्तिपीठ है। इसकी धार्मिक महत्ता और यहाँ की पौराणिक कथाएँ इसे एक अद्वितीय तीर्थस्थल बनाती हैं। हर वर्ष यहाँ आने वाले श्रद्धालु इस स्थल की महत्ता को अनुभव करते हैं और अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए माँ अंबिका के चरणों में श्रद्धा से नतमस्तक होते हैं।

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महत्वपूर्ण जानकारियां – Information
State: Bihar
Country: India
Nearest City/Town: Dighwara village, Saran District
Best Season To Visit: October to December
Temple Timings: 5:00 am – 9:00 pm
Photography: Not allowedEntry Fees: Free

कैसे पहुचें – How To Reach
Road: You can via National highway19
Nearest Railway: Awatarnagar Railway Station
Air: Jai Prakash Narayan International Airport

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डिस्क्लेमर: इस लेख में दी गई जानकारी की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। यह सामग्री विभिन्न स्रोतों से संकलित की गई है और इसे केवल जानकारी के रूप में लिया जाना चाहिए। ये सभी बातें मान्यताओं पर आधारित है | adhyatmiaura.in इसकी पुष्टि नहीं करता |

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