बंशीधर मंदिर: नगर उटारी का आध्यात्मिक आभूषण

बंशीधर मंदिर: नगर उटारी का आध्यात्मिक आभूषण

नगर उटारी का प्रमुख आकर्षण है बंशीधर मंदिर, जहाँ भगवान श्रीकृष्ण-राधा की दुर्लभ अष्टधातु से निर्मित मूर्ति विराजमान है। 5 फीट ऊँची इस मूर्ति का रूप ‘मुरली मनोहर’ के रूप में अद्वितीय है, जो विश्व में कहीं और देखने को नहीं मिलता। इस आकर्षक छवि के दर्शन एक बार करने पर यह जीवनभर के लिए हृदय में बस जाती है। नगर उटारी, पलामू जिले में बाँकी नदी के किनारे स्थित है, जो राँची से लेकर वाराणसी के सड़क मार्ग पर स्थित है। रेल यातायात की दृष्टि से भी नगर उटारी महत्वपूर्ण है, क्योंकि उत्तर प्रदेश, दिल्ली, और पंजाब जाने वाली कई प्रमुख ट्रेनें यहाँ से होकर गुजरती हैं।

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मंदिर की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

मंदिर के इतिहास के अनुसार, संवत् 1741 के दौरान दिल्ली के अंतिम मुगल सम्राट शाह आलम के शासनकाल में अहमद शाह दुर्रानी ने भारत पर आक्रमण किया था। मूर्तिभंजक और लूटपाट के लिए कुख्यात इस सेना से बचाने के लिए वंशीधर की मूर्ति को शिवपहरी पहाड़ी की खोह में छिपा दिया गया था। यही पहाड़ी आज भी नगर उटारी के समीप स्थित है।

बंशीधर मंदिर का निर्माण नगर उटारी के राजा भवानी सिंह की धर्मपत्नी, रानी शिवमणि कुँवर ने करवाया था। रानी बाल विधवा और निस्संतान थीं, लेकिन भगवान श्रीकृष्ण की अनन्य भक्त थीं। एक बार कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर, निराहार व्रत करते हुए, उन्हें भगवान श्रीकृष्ण के दर्शन हुए। भगवान ने उन्हें स्वप्न में आदेश दिया कि शिवपहरी पहाड़ी से उनकी मूर्ति को लाकर नगर उटारी में स्थापित करें।

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मूर्ति की स्थापना और विशेषता

बंशीधर मंदिर: नगर उटारी का आध्यात्मिक आभूषण

रानी ने श्रीकृष्ण के आदेश का पालन करते हुए मूर्ति को खोज निकाला और उसकी स्थापना सन् 1885 में करवाई। यह अष्टधातु की बनी मूर्ति उत्तरी भारत की एक उत्कृष्ट कलाकृति मानी जाती है। मूर्ति में भगवान श्रीकृष्ण त्रिभंगी रूप में बंशीवादन करते हुए दिखाई देते हैं, जिनके चारों ओर अद्वितीय शिल्पकला प्रदर्शित होती है। मूर्ति के अद्भुत सौंदर्य और विवरण में शेषनाग, कमल पुष्प, और स्वर्ण वर्ण की पीठिका का अद्वितीय योगदान है। भगवान के वस्त्र, आभूषण, और श्रीकृष्ण का रुद्राक्ष की माला धारण करना, उनकी दिव्यता को और भी अधिक प्रकाशित करता है।

धार्मिक महत्व

बंशीधर मंदिर में श्रीकृष्ण के साथ-साथ सीता-राम, हनुमान, और शंकर-पार्वती की प्रतिमाएँ भी स्थापित हैं। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी और शिवरात्रि के समय मंदिर विशेष रूप से भक्तों से खचाखच भरा रहता है। यहाँ के मेलों में दूर-दराज से श्रद्धालु पहुँचते हैं और पारंपरिक रीति-रिवाजों का पालन करते हैं।

निष्कर्ष

बंशीधर मंदिर न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि यह नगर उटारी की सांस्कृतिक धरोहर और ऐतिहासिक महत्व को भी संजोए हुए है। यहाँ की प्राचीन मूर्तियों की चमक और दिव्यता आज भी जीवंत है, जो श्रद्धालुओं के लिए एक अनमोल धरोहर है।

महत्वपूर्ण जानकारियां – Information
State: Jharkhand
Country: India
Nearest City/Town: 
Shri Banshidhar Nagar
Best Season To Visit: October – March
Temple Timings: Morning: 6:00 am – 7:00 pm
Photography: Not Allowed
Entry Fees: Free

कैसे पहुचें – How To Reach
Road: Bansidhar Road, Shri Banshidhar Nagar, Jharkhand
Nearest Railway:
 Untari railway station
Air: The nearest airport is Ranchi Airport (248 km) & Varanasi Airport (110 km)

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डिस्क्लेमर: इस लेख में दी गई जानकारी की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। यह सामग्री विभिन्न स्रोतों से संकलित की गई है और इसे केवल जानकारी के रूप में लिया जाना चाहिए। ये सभी बातें मान्यताओं पर आधारित है | adhyatmiaura.in इसकी पुष्टि नहीं करता |

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