भगवान शिव

भगवान शिव

भगवान शिव, जो कल्याणकारी हैं, संतजनों को आनंद देने वाले हैं, हिमाचल पुत्री पार्वती के प्रिय हैं, कामदेव के घमंड को चूर करने वाले हैं, और थोड़ी-सी भक्ति से ही प्रसन्न हो जाते हैं, उनकी महिमा का गुणगान हम सभी करते हैं। शिवजी का भजन करने मात्र से जीवन में शांति और सुख की अनुभूति होती है।

शंकर जी के जैसा दानी कोई नहीं है। वह दीनदयालु हैं, देना उन्हें अत्यधिक प्रिय है। जो भी भक्त उनसे माँगते हैं, वे उन्हें कभी निराश नहीं करते। उनके दानवीरता की चर्चा सदियों से होती आई है। शिवजी तो मोह के अंधकार को नष्ट करने के लिए साक्षात सूर्य हैं। उनके मस्तक पर बिजली की तरह चमकता हुआ जटाजूट का मुकुट है, और पवित्र गंगा, जो भगवान विष्णु के चरणों से पवित्र हुई है, उनकी जटाओं में विराजमान है।

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शिव का उग्र और भयंकर रूप

शिवजी के ललाट पर चंद्रमा की शोभा और उनके तीन नेत्रों में सूर्य, चंद्र और अग्नि की अद्भुत प्रज्वलित शक्ति समाहित है। उनके हाथों में डमरू और त्रिशूल हमेशा रहते हैं। शिवजी का सम्पूर्ण शरीर भस्म से अलंकृत है, और बाघम्बर उनके वस्त्र होते हैं। उन्होंने सर्पों और नरमुंडों की माला धारण की हुई है, जो उनकी उग्र और भयंकर रूप को दर्शाती है। लेकिन साथ ही वह करुणा के सागर हैं, हमेशा अपने भक्तों पर कृपा करने वाले।

शिवजी की महिमा का वर्णन करना संभव ही नहीं

पार्वती जी के साथ शिवजी का विहार अद्भुत होता है। नंदी बैल उनके वाहन हैं, और वह समय के भी महाकाल हैं। उन्होंने हलाहल विष को अपने कंठ में धारण किया, और इसीलिए उन्हें नीलकंठ कहा जाता है। यह विष उन्होंने समुद्र मंथन के समय ग्रहण किया था, ताकि संसार की रक्षा हो सके। तब से लेकर आज तक, शिवजी की महिमा का वर्णन करना संभव ही नहीं है।

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शिवजी के जैसा करुणामयी और दानी कोई और नहीं

शिवजी का निवास स्थान कैलाश पर्वत है, और वह उग्र होने पर भी परम मंगलकारी हैं। देवताओं के स्वामी और संहारकर्ता होते हुए भी शिवजी हर किसी के उपकारी हैं। समुद्र मंथन के समय कालकूट विष की प्रचंड ज्वाला से जब सारे देवता और राक्षस जलने लगे, तब शिवजी ने देवताओं की रक्षा के लिए वह विष ग्रहण कर लिया। इससे यह स्पष्ट होता है कि शिवजी के जैसा करुणामयी और दानी कोई और नहीं हो सकता।

भगवान शिव, जिन्हें भोलेनाथ के नाम से जाना जाता है, न केवल देवताओं के देवता हैं, बल्कि सृष्टि के संहारकर्ता भी हैं। वह दयालु, सरल और परम ज्ञानवान हैं। उनका आशीर्वाद पाने के लिए मात्र थोड़ी सी भक्ति की आवश्यकता है। वे हर भक्त की प्रार्थना सुनते हैं और उनकी सभी इच्छाओं को पूरा करते हैं। ॐ नमः शिवाय – यह मंत्र भगवान शिव की भक्ति में डूबे श्रद्धालुओं का सबसे पवित्र और प्रिय मंत्र है।

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