बुधवार का व्रत भगवान बुधदेव को समर्पित होता है। यह व्रत विशेष रूप से ग्रह शांति और सर्वसुखों की प्राप्ति के लिए किया जाता है। यह व्रत उन व्यक्तियों के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है जो अपने जीवन में मानसिक शांति, वित्तीय स्थिरता, और खुशहाल जीवन की कामना करते हैं। भगवान बुधदेव की पूजा से बुद्धि की शुद्धता, वाक् शक्ति और व्यापार में उन्नति होती है। यह व्रत विशेष रूप से उन लोगों द्वारा किया जाता है जो शिक्षा, व्यवसाय, और बातचीत के माध्यम से सफलता प्राप्त करना चाहते हैं।
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बुधवार व्रत की विधि
बुधवार व्रत की विधि अत्यंत सरल है, परंतु इसमें अनुशासन और संयम आवश्यक है। व्रत के दिन प्रातःकाल उठकर स्नान आदि करने के बाद भगवान शिव और भगवान बुध की पूजा करनी चाहिए। पूजा के समय हरी वस्तुओं का प्रयोग विशेष महत्त्व रखता है। हरे वस्त्र धारण करना, हरी सब्जियों का सेवन करना, और हरे फल या फूल अर्पित करना शुभ माना जाता है।
व्रत के दौरान दिनभर निराहार रहकर पूजा करनी चाहिए और केवल एक बार ही भोजन ग्रहण करना चाहिए। भोजन में हल्का और सात्विक आहार लेना चाहिए। इस व्रत का उद्देश्य मन, वाणी और बुद्धि की शुद्धि है, इसलिए इसे पूर्ण विधि-विधान से करना आवश्यक है। व्रत के अंत में भगवान शिव की पूजा धूप, बेलपत्र, और फूल अर्पित करके की जाती है। पूजन के बाद बुधवार की कथा अवश्य सुननी चाहिए और आरती करके प्रसाद ग्रहण करना चाहिए। एक बार जब व्रत आरंभ हो जाए, तो बीच में पूजा छोड़कर कहीं नहीं जाना चाहिए, इससे व्रत खंडित हो सकता है।
बुधवार व्रत की कथा
बहुत समय पहले एक नगर में एक व्यक्ति और उसकी पत्नी रहते थे। उनका जीवन सरल और शांतिपूर्ण था। एक दिन व्यक्ति को अपनी पत्नी को ससुराल छोड़ने की आवश्यकता पड़ी, क्योंकि उसकी पत्नी का मायका बहुत दिनों से उसे वापस बुला रहा था। व्यक्ति अपनी पत्नी को ससुराल छोड़ आया और कुछ दिन वहाँ रुकने के बाद उसने सास-ससुर से विदा मांगने का निश्चय किया।
जिस दिन वह विदा लेने के लिए आया, वह बुधवार का दिन था। सास-ससुर ने उसे बुधवार के दिन विदा न करने की सलाह दी। उन्होंने कहा, “बेटा, आज बुधवार का दिन है, और इस दिन यात्रा करना अशुभ माना जाता है। कृपया तुम आज रुक जाओ और कल यात्रा कर लेना।”
लेकिन व्यक्ति हठधर्मी था और उसे अपने नगर वापस जाने की जल्दी थी। उसने उनकी बातों को अनसुना किया और अपनी पत्नी को लेकर तुरंत ही अपनी यात्रा आरंभ कर दी। वह अपने नगर की ओर जाने लगा। रास्ते में उसकी पत्नी को प्यास लगी, तो उसने अपने पति से पानी लाने को कहा। व्यक्ति ने तुरंत पास के जल स्रोत से पानी लाने का निश्चय किया।
जब वह व्यक्ति लोटा लेकर पानी भरने गया, तो उसे लगा कि सब कुछ सामान्य है। परंतु जैसे ही वह पानी लेकर अपनी पत्नी के पास लौटा, वह यह देखकर हैरान रह गया कि उसकी पत्नी के पास एक और व्यक्ति बैठा हुआ था, जिसकी शक्ल बिल्कुल उसी की तरह थी। उसके वस्त्र, चेहरा, और यहाँ तक कि उसकी चाल-ढाल भी उसी की तरह थी। वह व्यक्ति उसे देखकर चौंक गया और सोचने लगा, “यह कैसे संभव हो सकता है?”
दूसरे व्यक्ति ने कहा, “यह मेरी पत्नी है, मैं अभी-अभी इसे ससुराल से विदा कराकर ला रहा हूँ।” यह सुनकर असली पति को क्रोध आ गया और वह बोला, “यह मेरी पत्नी है, और मैं इसे ससुराल से विदा कराकर ला रहा हूँ।” दोनों में वाद-विवाद बढ़ने लगा। दोनों एक-दूसरे को झूठा साबित करने में लगे थे।
उनके झगड़े की आवाज सुनकर राहगीर भी वहाँ आ गए। धीरे-धीरे वहाँ भीड़ इकट्ठी हो गई। तभी कुछ सैनिक वहाँ पहुँचे और उन्होंने दोनों व्यक्तियों से सच्चाई जानने की कोशिश की। सैनिकों ने उस स्त्री से पूछा, “तुम्हारा असली पति कौन है?”
परंतु स्त्री स्वयं भी उलझन में पड़ गई थी, क्योंकि दोनों व्यक्ति एक जैसे दिख रहे थे। वह निश्चय नहीं कर पा रही थी कि असली पति कौन है और कौन नकली। उसने दोनों को ध्यान से देखा, परंतु कोई भेद नहीं कर पाई। इस स्थिति में वह स्त्री भी ईश्वर से प्रार्थना करने लगी और बोली, “हे भगवान! यह कैसी लीला है? मैं कैसे पहचान करूँ कि मेरा सच्चा पति कौन है?”
तभी अचानक आकाशवाणी हुई। आकाश से एक दिव्य आवाज आई, “मूर्ख मनुष्य! आज बुधवार का दिन है, और इस दिन यात्रा करना वर्जित है। तुझे ससुराल में ही ठहरना चाहिए था, परंतु तूने हठपूर्वक यात्रा की और इसीलिए यह स्थिति उत्पन्न हुई है। यह सब बुधदेव की लीला है।”
आकाशवाणी सुनकर वह व्यक्ति चौंक गया और उसे अपनी गलती का एहसास हुआ। उसने तुरंत बुधदेव से प्रार्थना की और अपनी भूल के लिए क्षमा माँगी। उसने कहा, “हे भगवान बुधदेव! मुझसे भारी गलती हो गई। मैं आपकी आज्ञा का पालन नहीं कर पाया और हठपूर्वक यात्रा की। कृपया मुझे क्षमा करें और मेरी स्त्री को मुझे वापस लौटाएँ।”
तभी बुधदेव प्रकट हुए और बोले, “तुमने जो गलती की है, वह भविष्य के लिए एक सीख है। बुधवार के दिन यात्रा करना अशुभ होता है, इसलिए भविष्य में ध्यान रखना कि इस दिन यात्रा न करो।” यह कहकर बुधदेव अंतर्धान हो गए।
जैसे ही बुधदेव अंतर्धान हुए, दूसरा व्यक्ति गायब हो गया और असली पति अपनी पत्नी के साथ अपने घर लौट आया। उसने बुधदेव की कृपा से सही सलामत यात्रा पूरी की।
उस दिन के बाद, उस व्यक्ति ने और उसकी पत्नी ने बुधवार का व्रत रखना शुरू किया। वे हर बुधवार को व्रत रखते, पूजा करते, और बुधदेव की कथा सुनते। उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान बुधदेव ने उन्हें आशीर्वाद दिया और उनके जीवन में कभी कोई बाधा नहीं आई। वे दोनों पति-पत्नी सुखमय जीवन जीने लगे और अपने जीवन में खुशहाली का अनुभव किया।
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बुधवार व्रत के लाभ
जो व्यक्ति इस कथा को सुनता या पढ़ता है, उसे बुधवार के दिन यात्रा करने का कोई दोष नहीं लगता है। इस व्रत से बुध ग्रह की शांति होती है और व्यक्ति के जीवन में बुद्धि, व्यापार, और स्वास्थ्य में उन्नति होती है। बुधदेव की कृपा से जीवन की सभी समस्याएँ दूर होती हैं और सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है। बुधवार व्रत का समापन आरती और प्रसाद वितरण से होता है। आरती के दौरान भगवान बुधदेव और भगवान शिव का स्मरण किया जाता है। आरती के बाद प्रसाद ग्रहण करके व्रत की समाप्ति होती है।
बुधवार का व्रत एक अनुशासनप्रिय व्रत है, जो ग्रह शांति, बुद्धि की शुद्धि, और समृद्धि के लिए किया जाता है। इस व्रत के माध्यम से व्यक्ति अपने जीवन की सभी समस्याओं से छुटकारा पा सकता है और बुधदेव की कृपा से सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति कर सकता है।
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