डाकोर, उत्तर भारत के प्रमुख तीर्थस्थलों में से एक है, जो अपनी ऐतिहासिकता और धार्मिक महत्त्व के कारण भारत भर में प्रसिद्ध है। इस छोटे से कस्बे का नाम श्री रणछोड़राय (श्रीकृष्ण) के भव्य मंदिर और उनकी महिमा से जुड़ा है। प्राचीन काल में यह स्थान खाखरिया नामक छोटे गाँव के रूप में जाना जाता था, लेकिन तपस्वी डंक मुनि के आश्रम के पास होने के कारण इसे ‘डंकपुर’ नाम मिला, और आज यह ‘डाकोर’ के नाम से विख्यात है। यहाँ के सुरम्य वन और कमल के फूलों से आच्छादित जलाशयों ने इस स्थान की शोभा में चार चाँद लगा दिए हैं।
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डंकेश्वर महादेव की पौराणिक कथा

डाकोर की महिमा डंकेश्वर महादेव की पौराणिक कथा से भी जुड़ी हुई है। डंक मुनि, जो एक परम शिव भक्त थे, यहाँ एक वटवृक्ष के नीचे शिव-आराधना किया करते थे। एक दिन उनके मन में शिव के साक्षात दर्शन की इच्छा जाग्रत हुई, जिसके लिए उन्होंने वर्षों तक कठोर तपस्या की। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें दर्शन दिए और उनके निवास स्थान पर सदा के लिए बाण रूप में विराजमान हो गए। यह बाण स्वरूप आज डंकेश्वर महादेव के रूप में प्रतिष्ठित है।
श्रीकृष्ण और डाकोर का संबंध
डाकोर से जुड़ी एक अन्य महत्वपूर्ण कथा द्वापर युग से संबंधित है। कहते हैं कि जब श्रीकृष्ण भीम के साथ हस्तिनापुर से द्वारका लौट रहे थे, तो मार्ग में भीम को प्यास लगी। श्रीकृष्ण ने सरोवर और डंक मुनि के आश्रम की ओर इशारा करते हुए उन्हें वहाँ जाने के लिए कहा। भीम ने श्रीकृष्ण से यह पूछ लिया कि आप तो स्वयं पूज्य हैं, फिर मुनियों का सम्मान क्यों? इस पर श्रीकृष्ण ने हँसते हुए कहा कि ऋषि-मुनियों के दर्शन से ही मानव जीवन पवित्र होता है। वे केवल भक्ति नहीं, बल्कि मुक्ति, शीतलता, दरिद्रता निवारण और पापों के क्षय का वरदान देते हैं।

श्रीकृष्ण और भीम ने जब डाकोर के सरोवर के किनारे विश्राम किया, तो भीम ने अपनी गदा से उस सरोवर को और बड़ा कर दिया। इस घटनाक्रम ने पूरे वन प्रदेश में हलचल मचा दी और डंक मुनि की समाधि भंग हो गई। मुनि ने श्रीकृष्ण और भीम का स्वागत किया और श्रीकृष्ण से प्रार्थना की कि वे हमेशा के लिए उनके आश्रम में निवास करें। श्रीकृष्ण ने यह वादा किया कि वे द्वारका में अपने कार्य पूरे करने के बाद डाकोर आएंगे।
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डाकोर में श्रीकृष्ण की उपासना
कहावत है कि जो श्रद्धालु सावन के महीने से लेकर चार महीनों तक निष्काम भाव से डाकोर में निवास करता है और नियमित रूप से तुलसी-पत्र अर्पण करता है, उसे श्रीकृष्ण के दर्शनों से अद्वितीय फल की प्राप्ति होती है। डाकोर के इस तीर्थधाम की महिमा दूर-दूर तक फैली है और हर साल यहाँ हजारों भक्त श्रीकृष्ण के आशीर्वाद के लिए आते हैं।
आस-पास के दर्शनीय स्थल
डाकोर के आस-पास कई अन्य पवित्र स्थल भी हैं, जो तीर्थयात्रियों को आकर्षित करते हैं। डाकोर से पश्चिम में चार कोस की दूरी पर सुरेश्वर महादेव का मंदिर स्थित है, जहाँ ऋषि सुरेश्वर ने तपस्या की थी। इसी प्रकार, डाकोर से चार कोस पूर्व में रणमुक्तेश्वर महादेव का मंदिर है, जहाँ शिवरात्रि पर भव्य मेला लगता है। इसके अलावा, खलदपुर गाँव में नीलकंठ महादेव का मंदिर भी दर्शनीय है, जहाँ तेजपाल और राजपाल नामक वैश्यों ने शिव की आराधना की थी।
चमत्कारी हनुमानजी और गलतेश्वर महादेव
डाकोर से अग्निकोण में भैषज वन स्थित है, जहाँ चमत्कारी हनुमानजी का मंदिर है। यह माना जाता है कि यहाँ पूजा करने से शनि की पीड़ा का निवारण होता है। इसके अतिरिक्त, गलतेश्वर महादेव का विशालकाय मंदिर, जो डाकोर से छह कोस की दूरी पर स्थित है, भी भक्तों के आकर्षण का केंद्र है। यहाँ गालवी गंगा की निरंतर बहती जलधारा इस स्थान को और पवित्र बनाती है।
डाकोर न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि यह भक्तों को आध्यात्मिकता और शांति का अद्वितीय अनुभव प्रदान करता है। इस तीर्थधाम की ऐतिहासिक और पौराणिक महिमा इसे और अधिक महत्वपूर्ण बनाती है, जहाँ भक्तजन आकर अपनी मनोकामनाएँ पूर्ण करते हैं और दिव्य आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
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महत्वपूर्ण जानकारियां – Information
State: Gujarat
Country: India
Nearest City/Town: Kheda
Best Season To Visit: October to March
Temple Timings: Morning: 6:00 am – 12:00 pm and Evening: 4:00 pm – 7:00 pm
Photography: Not allowed
Entry Fees: Free
कैसे पहुचें – How To Reach
Nearest Railway: Dakor (DK) Railway Station
Air: Vadodara Airport
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