इन दिव्य मंत्रों का उच्चारण प्रत्येक घर मे अवश्य होना चाहिए

इन दिव्य मंत्रों का उच्चारण प्रत्येक घर मे अवश्य होना चाहिए

श्री महामृत्युञ्जय मंत्र, विष्णु स्तुति, गणेश वंदना, और अन्य दिव्य मंत्रों और स्तुतियों का संग्रह भारतीय धार्मिक परंपरा और संस्कारों में एक विशेष स्थान रखता है। ये मंत्र केवल उच्चारण के लिए नहीं हैं, बल्कि यह आत्मा की शुद्धि, जीवन में आने वाली कठिनाइयों से मुक्ति, और ईश्वर की कृपा पाने के शक्तिशाली साधन माने जाते हैं। हर एक मंत्र में दिव्यता और अनुग्रह समाहित है, जो व्यक्ति के मन, शरीर और आत्मा को पवित्र करते हैं और उन्हें परमात्मा से जोड़ते हैं। आइए, इन मंत्रों और स्तुतियों की महिमा और उनके गहरे अर्थ को विस्तार से समझें।

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श्री महामृत्युञ्जय मंत्र को जीवन का रक्षक और अमरता का दाता माना गया है। इसका उच्चारण व्यक्ति को सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति दिलाता है और जीवन में अमृत प्रदान करता है। इसका मूल भाव यह है कि भगवान शिव, जो त्रिलोकी के स्वामी हैं, अपने भक्तों को मृत्यु के बंधनों से मुक्त करते हैं। यह मंत्र इस प्रकार है:

मंत्र:
“ॐ हौं जूं सः।
ॐ भूः भुवः स्वः।
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्।।
ॐ स्वः भुवः भूः।
ॐ सः जूं हौं ॐ।।”

यह मंत्र भक्त को शिव की कृपा से रोगों, कष्टों और भय से मुक्ति प्रदान करता है। इसका नियमित जाप करने से व्यक्ति दीर्घायु और सुखमय जीवन प्राप्त करता है। शिवजी की अनंत कृपा से इस मंत्र के प्रभाव से मृत्यु का भय समाप्त हो जाता है और जीवन में अमृत समान आनंद आता है।

भगवान विष्णु को संपूर्ण सृष्टि का पालनकर्ता माना जाता है। उनके विभिन्न रूपों का ध्यान और स्तुति करना जीवन में शांति, समृद्धि और संतुलन लाता है। श्री विष्णु स्तुति में विष्णुजी की अनेक विशेषताओं का वर्णन किया गया है। वह शांति के सागर हैं, और जिनके शरीर पर सर्प शैया (शेषनाग) का आसन है, उनका वर्ण बादलों के समान नीला है, और लक्ष्मीजी उनके चरणों में सेवा करती हैं। विष्णुजी की यह स्तुति इस प्रकार है:

स्तुति:
“शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशं,
विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्णं शुभांगम्।
लक्ष्मीकांतं कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यं,
वन्दे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैकनायम्।।”

इस स्तुति का गान भगवान विष्णु की अपार कृपा को प्राप्त करने के लिए किया जाता है। यह व्यक्ति को भवसागर से पार कराता है और जीवन के सभी प्रकार के भय और संकटों का अंत करता है।

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भगवान गणेश, जिन्हें विघ्नहर्ता कहा जाता है, सभी कार्यों की सफलता के लिए पूजे जाते हैं। उनकी वंदना से सभी प्रकार के विघ्न और बाधाओं का नाश होता है। गणेशजी की वंदना का उच्चारण प्रत्येक शुभ कार्य के प्रारंभ में किया जाता है ताकि कार्य निर्विघ्न रूप से संपन्न हो सके। यह वंदना इस प्रकार है:

वंदना:
“गजाननं भूतगणादिसेवितं,
कपित्थजम्बूफलचारु भक्षणम्।
उमासुतं शोकविनाशकारकं,
नमामि विघ्नेश्वरपादपंकजम्।।”

इसके साथ ही भगवान गणेश का एक और प्रमुख मंत्र है जो हर प्रकार के कार्य में सफलता और शुभता लाने के लिए उच्चारित किया जाता है:

मंत्र:
“वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ,
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा।।”

इस मंत्र के जाप से भक्त को भगवान गणेश की कृपा मिलती है, जिससे उसके सभी कार्य बिना किसी बाधा के पूरे होते हैं और उसे जीवन में समृद्धि प्राप्त होती है।

महालक्ष्मी देवी, जो धन और समृद्धि की देवी हैं, उनकी वंदना करने से व्यक्ति के जीवन में धन, ऐश्वर्य और सफलता की प्राप्ति होती है। उनकी कृपा से भक्त के सभी कष्ट और आर्थिक समस्याएं दूर हो जाती हैं। श्री लक्ष्मी वंदना इस प्रकार है:

वंदना:
“महालक्ष्मि नमस्तुभ्यं, नमस्तुभ्यं सुरेश्वरि।
हरिप्रिये नमस्तुभ्यं, नमस्तुभ्यं दयानिधे।।”

देवी लक्ष्मी की इस वंदना से व्यक्ति के जीवन में सुख-समृद्धि आती है, और उसका हर कार्य सफल होता है। देवी लक्ष्मी के आशीर्वाद से घर में धन और वैभव का वास होता है।

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विद्या और ज्ञान की देवी सरस्वती की पूजा से व्यक्ति के जीवन में विद्या, बुद्धि और विवेक का संचार होता है। सरस्वती देवी की कृपा से व्यक्ति हर प्रकार की विद्या में निपुण हो जाता है और उसे हर प्रकार की शारीरिक और मानसिक शुद्धि प्राप्त होती है। सरस्वती वंदना इस प्रकार है:

वंदना:
“सरस्वती महाभागे, विधे कमललोचने।
विश्वरूप विशालाक्षी, विद्यां देहि नमोऽस्तुते।।”

देवी सरस्वती के आशीर्वाद से व्यक्ति के जीवन में ज्ञान और सद्भाव का वास होता है। उनके द्वारा प्रदान की गई विद्या से व्यक्ति जीवन में अज्ञानता और कष्टों से मुक्ति पाता है।

भगवान हनुमान, जो शक्ति, भक्ति और सेवा के प्रतीक हैं, उनकी कृपा से भक्त को हर प्रकार के संकटों से मुक्ति मिलती है। यह विशेष मंत्र हनुमानजी की कृपा प्राप्त करने के लिए 40 दिनों तक नियमित रूप से जप किया जाता है। इस मंत्र का जाप जीवन में असंभव को संभव करने की शक्ति देता है:

मंत्र:
“ॐ ऐं ह्रीं श्रीं नमो भगवते हनुमते,
मम कार्येषु ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल।
असाध्यम् साधय साधय माम रक्ष रक्ष,
सर्वदुष्टेभ्यो हुं फट् स्वाहा।।”

हनुमानजी के इस मंत्र का जाप करने से व्यक्ति के जीवन में आने वाले सभी संकटों का अंत होता है और कार्यों में सफलता प्राप्त होती है।

धर्मराज यमराज ने अपने दूतों को यह आदेश दिया है कि जो व्यक्ति भगवान के नामों का सच्चे हृदय से उच्चारण करता है, उसे वे कभी कष्ट न दें। यमराज का यह कथन इस प्रकार है:

“जो मनुष्य राम, कृष्ण, हरि, गोविन्द, माधव, मुकुन्द, हरे, मुरारे, शम्भु, शिव, ईश, चन्द्रशेखर, शूलपाणि, दामोदर, अच्युत, जनार्दन और वासुदेव इत्यादि नामों का उच्चारण करते रहते हैं, उनको दूर से ही त्याग देना।”

डिस्क्लेमर: इस लेख में दी गई जानकारी की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। यह सामग्री विभिन्न स्रोतों से संकलित की गई है और इसे केवल जानकारी के रूप में लिया जाना चाहिए। ये सभी बातें मान्यताओं पर आधारित है | adhyatmiaura.in इसकी पुष्टि नहीं करता |

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