द्रौपदी घाट मंदिर और उसकी ऐतिहासिक महत्वपूर्णता

द्रौपदी घाट मंदिर और उसकी ऐतिहासिक महत्वपूर्णता

पश्चिमी उत्तर प्रदेश, मेरठ में स्थित द्रौपदी मंदिर वह जगह है जहाँ आपको न तो पुजारी मिलेगा न ही ज्यादा पर्यटक इसका मुख्य कारण है कि यह स्थान सिटी से थोड़ा हटकर है यहाँ तक पहुंचने का रास्ता कच्चा है और काफी ख़राब भी है आपको खेतो के बीच से होकर जाना होगा जो की अपने आप में एक बड़ा ही संघर्ष पूर्ण कार्य है | लेकिन यह यात्रा एक अलग रोमांच भी अनुभव करवाता है | सुविधा के आभाव में टूटे हुए कच्चे रास्तो से होते हुए adhyatkimaura.com की टीम यहाँ तक पहुंची और यकीन मानिये, पहुंचने के बाद इतना सुन्दर नजारा था यहाँ का चारो तरफ शांति मंदिर में बीच में एक तालाब था जो काफी पपुराना मालूल पड़ता था देखने में ही | लोगो की आस्था यह भी है की इस तालाब के पानी से स्किन से सम्बंधित रोग भी ठीक होते है |

इसे जरूर पढ़ें: माँ मुंडेश्वरी मंदिर, चमत्कार को नमस्कार, बिहार

द्रौपदी की पूजा के दौरान श्रीकृष्ण की पूजा करना अनिवार्य है

मान्यता है कि यहां माँ द्रौपदी स्नान करने आती थी इसलिए इस स्थान को द्रौपदी घाट के नाम से भी जाना जाता है यह पूरी दुनिया में माँ द्रौपदी का इकलौता मंदिर है, श्रद्धालुओं की माने तो आधुनिक युग में यह स्थान किसी भी तीर्थ स्थल से कम नहीं है | कहा जाता है कि जो भी व्यक्ति यहां सच्चे मन से कुछ भी मांगता है उसकी मनोकामना अवश्य ही पूरी होती हैं |

महाभारत काल में श्री कृष्ण ने द्रौपदी की साड़ी का चिर बढाकर उनकी लाज बचाई थी उसी दृश्य को दर्शाते हुए मंदिर में द्रौपदी और कृष्ण की मूर्ति स्थापित है | साथ ही श्रीकृष्ण की एक अलग से मूर्ति भी रखी गई है | महाभारत काल में श्रीकृष्ण और द्रौपदी दोनों अच्छे मित्र भी थे शायद यही कारण है कि यहाँ पर द्रौपदी की पूजा के दौरान श्रीकृष्ण की पूजा करना अनिवार्य है नहीं तो आपको पूजन का उचित लाभ नहीं मिलता है |

पास के स्थानीय लोग पहले द्रौपदी तालाब में स्नान करते हैं फिर प्राचीन विशालकाय पीपल के पेड़ के नीचे बैठकर माता द्रौपदी की पूजा करते हैं और फिर उसके बाद पुरे विधि-विधान के साथ मंदिर में स्थापित भगवान श्रीकृष्ण की पूजा अर्चना करते हैं ताकि उनकी पूजा सार्थक हो सके और उन्हें उनकी पूजा का पूरा लाभ मिल सके | इस मंदिर में आस-पास के इलाको से ही नहीं बल्कि पुरे देश के अलग-अलग हिस्सों से श्रद्धालु पूरी आस्था के साथ यहाँ आते हैं |

इसे जरूर पढ़ें: माँ ताराचंडी मंदिर एक अद्भुत शक्तिपीठ, जो स्थित है सासाराम में

पौराणिक कथा: द्रौपदी ने किया ऋषि दुर्वासा की सहायता

कहानी कहती है कि रानी द्रौपदी नदी में स्नान करने आई थी और वही कुछ ही दूरी पर ऋषि दुर्वासा भी नहा रहे थे। नहाते हुए ऋषि दुर्वासा का वस्त्र जल में प्रवाहित हो गया। इस स्थिति में मुनि दुर्वासा नदी से बाहर निकलने में संकोच कर रहे थे, वो धर्मसंकट में पड़ गए कि अब क्या किया जाये । इस घटना को द्रौपती ने देख लिए और समझदारी दिखाते हुए उन्होंने अपनी साड़ी को फाड़कर उनको दे दिया। द्रौपदी के इस कृत्य से खुश होकर दुर्वासा मुनि ने द्रौपदी को वरदान दिया कि उनकी इज्जत पर कभी कोई आँच नहीं आयेगी। कहा जाता है कि इसी वरदान के कारण, चीर-हरण के समय भगवान श्री कृष्ण ने रानी द्रौपदी की साड़ी का चिर बढ़ा कर उनके लाज बचाया था।

महत्वपूर्ण जानकारियां – Information
Locality/village : Hastinapur
State : Uttar Pradesh
Country : India
Nearest City/Town : Hastinapur
Best Season To Visit : All
Temple Timings : 24 x 7
Photography : Allowed
Entry Fees : Free

इसे जरूर पढ़ें: परमात्मा प्राप्ति के लिए लिए केवल इच्छाशक्ति ही पर्याप्त है

कैसे पहुचें – How To Reach
Road : Ganeshpur – Hastinapur Road
Nearest Railway: Meerut
Air : Indira Gandhi International Airport

डिस्क्लेमर: इस लेख में दी गई जानकारी की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। यह सामग्री विभिन्न स्रोतों से संकलित की गई है और इसे केवल जानकारी के रूप में लिया जाना चाहिए। ये सभी बातें मान्यताओं पर आधारित है | adhyatmiaura.in इसकी पुष्टि नहीं करता |

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Follow Us On Social Media

भाग्य खुलने के गुप्त संकेत