देवता, दानव, यक्ष, अप्सरा, गन्धर्व, मनुष्य, राक्षस और सभी प्राणियों की उत्पत्ति

देवता, दानव, यक्ष, अप्सरा, गन्धर्व, मनुष्य, राक्षस और सभी प्राणियों की उत्पत्ति

सृष्टि में विभिन्न प्राणियों का जन्म ब्रह्माजी के मानस पुत्रों और उनके वंश से हुआ। यह कहानी पुराणों में वर्णित देवता, दानव, गंधर्व, अप्सरा, मनुष्य, यक्ष, राक्षस और अन्य प्राणियों की उत्पत्ति को स्पष्ट करती है।

कश्यप और दक्ष प्रजापति की कन्याएँ

  • ब्रह्माजी के मानस पुत्र मरीचि के पुत्र कश्यप थे, जिनसे सभी प्राणियों की उत्पत्ति हुई।
  • प्रजापति दक्ष की 13 कन्याएँ थीं: अदिति, दिति, मुनि, दनु, काला, सिंहिका, दनायु, क्रोधा, प्राधा, विनता, कपिला, विश्वा और कद्रू।
  • इन कन्याओं के माध्यम से अनेक पुत्र-पौत्रों की उत्पत्ति हुई जो इस प्रकार है:

अदिति से आदित्यों की उत्पत्ति

  • अदिति के बारह आदित्य उत्पन्न हुए: धाता, मित्र, अर्यमा, शक्र, वरुण, अंश, भग, विवस्वान्, पूषा, सविता, त्वष्टा, और विष्णु।
  • विष्णु सबसे छोटे और गुणों में सबसे बड़े माने जाते हैं।

दिति से उत्पत्ति

  • दिति से हिरण्यकशिपु का जन्म हुआ।
  • हिरण्यकशिपु के पाँच पुत्र थे: प्रह्लाद, संह्लाद, अनुह्लाद, शिबि, और बाष्कल।
  • प्रह्लाद के तीन पुत्र हुए: विरोचन, कुम्भ, और निकुम्भ और उसके वंशजों में बलि और बाणासुर प्रमुख थे।

दनु के पुत्र

  • दनु के 40 पुत्र थे, जिनमें विप्रचित्ति सबसे बड़ा था।

क्रोधा की संतानें

  • क्रोधा से 9 कन्याएँ उत्पन्न हुईं: मातंगी, मृगी, श्वेता, भद्रमना, मृगमन्दा, शार्दूली, हरी, सुरभि, और सुरसा।
  • मृगी से मृग, भद्रमना से ऐरावत हाथी, हरी से वानर, और शार्दूली से सिंह उत्पन्न हुए।

सिंहिका से उत्पत्ति  

  • सिंहिका से राहु का जन्म हुआ, जो सूर्य और चंद्रमा को ग्रसता है।

दनायु के चार पुत्र

  • विक्षर, बल, वीर, नंदा।

प्राधा से उत्पत्ति

  • प्रधा से अलम्बुषा, मिश्रकेशी, तिलोत्तमा जैसी अप्सराओं का जन्म हुआ।

विनता के पुत्र

  • विनता से गरुड़ और अरुण का जन्म हुआ।

कपिला से उत्पत्ति  

  • गौ, ब्राह्मण, गंधर्व और अप्सराएँ उत्पन्न हुईं।

कद्रू से उत्पत्ति

  • शेष, अनन्त, वासुकि और अन्य सर्प।

विश्वा से उत्पत्ति

  • वसु, रुद्र, और प्रजापति का जन्म।

मुनि से उत्पत्ति

  • देवगंधर्व का जन्म।

काला से उत्पत्ति

  • विनाशन, क्रोधशत्रु और अन्य असुरों का जन्म।

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सूर्य और अश्विनीकुमार

  • सूर्य की पत्नी बड़वा से अश्विनीकुमार उत्पन्न हुए।
  • अश्विनीकुमारों को चिकित्सा और स्वास्थ्य के देवता माना जाता है।

33 कोटी मुख्य देवता

  • 12 आदित्य, 8 वसु, 11 रुद्र, प्रजापति, और वषट्कार मिलाकर 33 मुख्य देवता माने जाते हैं।
  • इनके गण भी होते हैं, जैसे: रुद्रगण, साध्यगण, मरुद्गण, वसुगण, भार्गवगण, और विश्वेदेवगण।

भृगु और शुक्राचार्य

  • महर्षि भृगु ब्रह्माजी के हृदय से प्रकट हुए थे।
  • भृगु के पुत्र शुक्राचार्य असुरों के गुरु माने जाते हैं।
  • भृगु के एक और पुत्र च्यवन भी थे, जिनसे और्व और और्व से ऋचीक का जन्म हुआ।

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अधर्म और उसके पुत्र

  • अधर्म का जन्म सुरा से हुआ, जब प्रजा अन्न के लोभ से एक-दूसरे का हक खाने लगी।
  • अधर्म की पत्नी निर्ऋति थी, जिनसे भय, महाभय, और मृत्यु उत्पन्न हुए।

ताम्र और उसकी संताने

  • ताम्र से 5 कन्याएँ उत्पन्न हुईं: काकी, श्येनी, भासी, धृतराष्ट्री, और शुकी।
  • काकी से उलूक, श्येनी से बाज, और भासी से कुत्ते व गीध उत्पन्न हुए।

पुलस्त्य, पुलह और क्रतु के पुत्र

  • पुलस्त्य से राक्षस, वानर, किन्नर और यक्ष उत्पन्न हुए।
  • पुलह से शलभ, सिंह, किम्पुरुष, और भेड़िये जैसी जातियाँ उत्पन्न हुईं।
  • क्रतु के पुत्र वालखिल्य थे, जो देवताओं के रक्षक माने जाते हैं।

ब्रह्माजी के अन्य पुत्र

  • ब्रह्माजी के अन्य पुत्र थे: स्थाणु, धाता और विधाता।
  • स्थाणु के ग्यारह पुत्र थे, जिन्हें रुद्र के रूप में पूजा जाता है।

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सप्तर्षि और उनकी संतान

  • अंगिरा से बृहस्पति, उतथ्य, और संवर्त उत्पन्न हुए।
  • अत्रि के कई पुत्र हुए, जिनमें सबसे प्रमुख चन्द्रमा माने जाते हैं।

मनु और उनके पुत्र

  • ब्रह्माजी के पुत्र मनु से आठ वसु उत्पन्न हुए: धर, ध्रुव, सोम, अह, अनिल, अनल, प्रत्यूष, और प्रभास।
  • इन वसुओं से देवताओं और मनुष्यों की उत्पत्ति का विस्तार हुआ।

विश्वकर्मा का जन्म

  • प्रभास से विश्वकर्मा का जन्म हुआ, जो देवताओं के कारीगर थे।
  • उन्होंने ही देवताओं के आभूषण, विमान और अन्य उपकरणों का निर्माण किया।

धर्म और उनके पुत्र

  • धर्म ब्रह्माजी के दाहिने स्तन से प्रकट हुए और उनके तीन पुत्र थे: शम, काम, और हर्ष।
  • उनकी पत्नियाँ क्रमशः प्राप्ति, रति, और अन्य थीं।

मुख्य प्राणी और उनकी उत्पत्ति

  • ब्रह्माजी के छह पुत्रों से रुद्र, वानर, यक्ष, और अन्य प्रमुख जातियों की उत्पत्ति हुई।

इस प्रकार विभिन्न ऋषियों, देवताओं, असुरों और यक्ष-गंधर्वों की उत्पत्ति से यह स्पष्ट होता है कि सृष्टि का विस्तार व्यापक और अनंत है। ब्रह्माजी के मानस-पुत्रों और उनकी संतानों ने सृष्टि के निर्माण में अहम भूमिका निभाई।

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