रामेश्वरम: भारत के 4 धामों और 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक

रामेश्वरम: भारत के 4 धामों और 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक

रामेश्वरम, जो तमिलनाडु में स्थित है, भारत के चार धामों और बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है। यह शंखाकार द्वीप, मुख्य भूमि से एक लंबे पुल द्वारा जुड़ा हुआ है और दक्षिण भारत का तीसरा सबसे बड़ा मंदिर है। इस मंदिर को स्वामीनाथ मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। यह मद्रास-एगमोर-तिरुचिरापल्ली-रामेश्वरम रेल मार्ग पर स्थित है, जो तिरुचिरापल्ली से 270 कि.मी. की दूरी पर है और रामेश्वरम रेलवे स्टेशन से लगभग 2 कि.मी. दूर है।

द्रविड़ शैली का उत्कृष्ट नमूना

रामेश्वरम मंदिर द्रविड़ शैली का एक उत्कृष्ट नमूना है, जिसकी वास्तुकला और शिल्पकला विशेष रूप से उल्लेखनीय है। इस मंदिर के पूर्वी द्वार पर 10 मंजिलों वाला और पश्चिमी द्वार पर 7 मंजिलों वाला गोपुरम है। इसके 4,000 फीट लंबे बरामदे, संसार के सबसे लंबे बरामदे माने जाते हैं, जिनमें प्रत्येक बरामदा 700 फीट लंबा है। बरामदे के स्तंभों पर की गई नक्काशी अत्यंत सुंदर और दर्शनीय है।

बारहवीं सदी में श्रीलंका के राजा पराक्रमबाहु ने इस मंदिर का गर्भगृह बनवाया था। इसके बाद विभिन्न राजा समय-समय पर इसका निर्माण करवाते रहे। इस अद्वितीय मंदिर का निर्माण लगभग 350 वर्षों में पूरा हुआ। मंदिर के गर्भगृह में स्थित शिवलिंग की स्थापना भगवान श्रीराम ने की थी, जिसे ‘रामलिंग’ भी कहा जाता है।

इसे जरूर पढ़ें: माँ मुंडेश्वरी मंदिर, चमत्कार को नमस्कार

रामेश्वरम् का श्वेत पत्थरों से निर्मित गगनचुंबी रामनाथ स्वामी मंदिर अपनी उत्कृष्ट शिल्पकला और सुंदरता की दृष्टि से पर्यटकों के लिए मुख्य आकर्षण का केंद्र है। मंदिर के मुख्यद्वार, कलात्मक स्तंभ, और गलियारे उच्च कोटि की द्रविड़ वास्तुकला के बेहतरीन नमूने हैं। मंदिर के उत्तर में भगवान शिवलिंगम् और उसके पास विशालाक्षी देवी का मंदिर है।

विशेष दर्शनीय स्थल

रामनाथ स्वामी मंदिर के विस्तृत परिसर में शेषनाग की शैया पर विराजित भगवान विष्णु का मंदिर विशेष रूप से दर्शनीय है। मूल मंदिर के सामने शंकरजी के वाहन नंदी की मूर्ति है, जिसकी जीभ बाहर की ओर निकली हुई है। इसके दाहिनी ओर विघ्नेश्वर गणेशजी, पास ही कार्तिकेयजी, और आगे भगवान श्रीराम का मंदिर स्थित है।

22 कुंडों का धार्मिक महत्व

22 कुंडों का धार्मिक महत्व

मंदिर परिसर में 22 कुंड स्थित हैं, जिनमें स्नान करने से कई रोगों से मुक्ति मिलती है, ऐसा विश्वास है। मंदिर के पूर्वी गोपुरम् के सामने समुद्र-तट को ‘अग्नितीर्थ’ कहा जाता है। यहाँ पहले स्नान कर गीले वस्त्रों सहित सभी कुंडों में स्नान करने की परंपरा है।

गंधमादन पर्वत और अन्य धार्मिक स्थल

रामेश्वरम् से लगभग 2 कि.मी. दूर स्थित गंधमादन पर्वत पर भगवान राम के चरण अंकित हैं। यहाँ से रामेश्वरम् मंदिर और द्वीप का मनोहारी दृश्य दिखाई देता है। लक्ष्मणतीर्थ, रामेश्वरम् से 2 कि.मी. दूर है, जहाँ लक्ष्मणेश्वर शिवमंदिर है। यहाँ से लौटते समय तीर्थयात्री सीतातीर्थ कुंड में स्नान करते हैं और श्रीराम तथा पंचमुखी हनुमान के दर्शन करते हैं।

इसे जरूर पढ़ें: पांडेश्वर महादेव मंदिर

पौराणिक कथा से जुड़ा रामेश्वरम

बालू का शिवलिंग

रामेश्वरम एक पौराणिक कथा से जुड़ा है, जिसके अनुसार भगवान राम ने लंका पर चढ़ाई करने से पहले भगवान शिव की पूजा करने इच्छा जताई और उसके लिए हनुमानजी को शिवलिंग कैलाश पर्वत से लाने को कहा लेकिन निर्धारित समय पर शिवलिंग को लाने मे हनुमानजी से देरी होने पर, भगवान राम ने बालू का शिवलिंग बनाकर  इसी स्थान पर भगवान शिव की आराधना कर उनको प्रसन्न किया था। हनुमानजी द्वारा लाए गए शिवलिंग को भी यहाँ स्थापित किया गया, जिसे ‘काशी विश्वनाथ’ कहा जाता है। भगवान राम ने हनुमानजी को यह वरदान भी दिया कि मेरे द्वारा बनाए बनाए गए बालू के शिवलिंग से पहले हनुमानजी द्वारा लाए शिवलिंग की पूजा की जाएगी।  

धनुष की नोक से भगवान राम ने इस पूल को तोड़ दिया था

rameshwaram pul

लंका विजय के बाद – लौटते समय राक्षसराज विभीषण ने भगवान राम से कहा कि इस सेतु से अन्य दूसरे लोग भी समुद्र पार कर लंका पर और लंकावासी इस ओर आकर आक्रमण कर सकते हैं, इसलिए इस पुल को तोड़ देना चाहिए । विभीषण की बात मानकर भगवान राम ने धनुष की नोक से इस पुल को तोड़ दिया था। इसलिए इस स्थान को ‘धनुषकोटि’ भी कहा जाता है।

इसे जरूर पढ़ें: संसार का पहला शिवलिंग

धार्मिक उत्सवों का केंद्र

रामेश्वरम में विभिन्न अवसरों पर धार्मिक उत्सव होते रहते हैं। जनवरी-फरवरी में तैराकी पर्व, जुलाई-अगस्त में प्रभु-विवाह, और चैत्र माह में देवताओं का अन्नाभिषेक जैसे कई धार्मिक उत्सव धूमधाम से मनाए जाते हैं।

महत्वपूर्ण जानकारियां – Information
State: Tamil Nadu
Country: India
Nearest City/Town: Rameshwaram
Best Season To Visit: between October to February
Temple Timings: Morning: 5:00 am – 1:00 pm and Evening: 3:00 pm – 9:00 pm
Photography: Not allowed
Entry Fees: Rs.250 per person

कैसे पहुचें – How To Reach
Road: You can take NH32 from Chennai to Rameshwaram and from Madurai to Rameshwaram you can take NH87
Nearest Railway: Rameshwaram railway station
Air: The nearest airport is Madurai Airport, about 170 km from Rameshwaram

इसे जरूर पढ़ें: द्रौपदी कूप, यही पर द्रौपदी ने दुशासन के खून से अपने केश धोये थे

डिस्क्लेमर: इस लेख में दी गई जानकारी की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। यह सामग्री विभिन्न स्रोतों से संकलित की गई है और इसे केवल जानकारी के रूप में लिया जाना चाहिए। ये सभी बातें मान्यताओं पर आधारित है | adhyatmiaura.in इसकी पुष्टि नहीं करता |

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Follow Us On Social Media

भाग्य खुलने के गुप्त संकेत