श्री लक्ष्मी कवच

श्री लक्ष्मी कवच

श्री लक्ष्मी कवच का पाठ विशेष रूप से मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने और जीवन में समृद्धि, सुख, और ऐश्वर्य की प्राप्ति के लिए किया जाता है। यह कवच एक प्रकार की सुरक्षा कवच है, जो भक्त को सभी विपत्तियों और संकटों से बचाता है। इसे पढ़ने से न केवल शारीरिक सुरक्षा मिलती है, बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक सुरक्षा भी प्राप्त होती है। आइए, इस अद्भुत कवच के महत्व और प्रभाव को विस्तार से समझते हैं।

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कवच का अर्थ होता है सुरक्षा। जब भक्त इस कवच का पाठ करते हैं, तो वे मां लक्ष्मी से अपनी रक्षा की प्रार्थना करते हैं। इसे मंत्र के रूप में उच्चारित करने से भक्त की सभी इच्छाएँ पूर्ण होती हैं। विशेष रूप से, धन और समृद्धि के लिए यह कवच अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है।

श्री लक्ष्मी कवच की प्रार्थना में भक्त मां लक्ष्मी से विभिन्न अंगों की रक्षा की याचना करते हैं। प्रत्येक मंत्र में अलग-अलग अंगों का उल्लेख है, जिससे यह सिद्ध होता है कि मां लक्ष्मी अपने भक्तों के प्रति कितनी दयालु और सुरक्षा प्रदान करने वाली हैं।

“पद्मा मेरे मस्तक की रक्षा करें।”

इस मंत्र से भक्त प्रार्थना करते हैं कि मां लक्ष्मी उनके मस्तक की रक्षा करें, ताकि वे सभी कार्यों में सफल हो सकें और उनके मन में सकारात्मक विचार उत्पन्न होते रहें। मस्तक में ज्ञान, विवेक और सोचने की क्षमता होती है, जो कि व्यक्ति की दिशा तय करती है।

“हरिप्रिया कण्ठ की रक्षा करें।”

यह मंत्र भक्त की वाणी और संचार की शक्ति की रक्षा के लिए है। सही शब्दों का चयन और अच्छी वाणी से व्यक्ति अपने जीवन में सकारात्मक परिवर्तन ला सकता है।

“लक्ष्मी नासिका की रक्षा करें।”

यहां भक्त मां लक्ष्मी से प्रार्थना करते हैं कि उनकी नासिका, अर्थात् सूंघने की शक्ति, की रक्षा करें। सूंघने की शक्ति से व्यक्ति को अच्छी-बुरी चीजों का ज्ञान होता है और यह आवश्यक है कि वह सदा सकारात्मकता को आत्मसात करें।

“कमला नेत्र की रक्षा करें।”

यहां भक्त मां लक्ष्मी से अपने नेत्रों की रक्षा की याचना करते हैं। अच्छे दृष्टिकोण और सकारात्मकता को देखने के लिए स्वच्छ और निर्मल दृष्टि आवश्यक है।

“केशवकान्ता केशों की, कमलालया कपाल की।”

इस मंत्र के माध्यम से भक्त अपने बालों और मस्तक की रक्षा की प्रार्थना करते हैं। यह दर्शाता है कि मां लक्ष्मी से सभी अंगों की सुरक्षा की आवश्यकता है।

“जगज्जननी दोनों कपोलों की।”

इस प्रार्थना में भक्त मां लक्ष्मी से अपने दोनों गालों की रक्षा की याचना करते हैं। गालों का सौंदर्य और स्वास्थ्य भी व्यक्ति की भव्यता में योगदान करता है।

“सम्पत्प्रदा सदा स्कन्ध की रक्षा करें।”

यहां भक्त मां लक्ष्मी से अपने कंधों की रक्षा की प्रार्थना करते हैं, जो कि व्यक्ति को अपने कार्यों को संभालने में मदद करते हैं।

“ॐ श्रीं कमलवासिन्यै स्वाहा, मेरे पृष्ठ भाग का सदा पालन करे!”

इस मंत्र में भक्त मां लक्ष्मी से अपनी पीठ की सुरक्षा की प्रार्थना करते हैं। यह दिखाता है कि मां लक्ष्मी अपने भक्तों को सभी दिशाओं से सुरक्षित रखती हैं।

“ॐ श्रीं पद्मालयायै स्वाहा, वक्षःस्थल को सदा सुरक्षित रखे।”

यहां भक्त अपने वक्ष स्थल की सुरक्षा की याचना करते हैं, जो कि जीवन में महत्वपूर्ण भावनाओं और संवेदनाओं का केन्द्र होता है।

“श्री देवी को नमस्कार है, वे मेरे कंकाल तथा दोनों भुजाओं को बचावें।”

इस प्रार्थना में भक्त मां लक्ष्मी से अपने संपूर्ण शरीर की सुरक्षा की प्रार्थना करते हैं, ताकि वे स्वास्थ्य और शक्ति के साथ जीवन व्यतीत कर सकें।

“ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्म्यै नमः, चिरकाल तक निरन्तर मेरे पैरों का पालन करे।”

यह मंत्र भक्त की गतिशीलता और संपूर्णता की रक्षा के लिए है। चलते-फिरते रहने से ही जीवन में आगे बढ़ा जा सकता है।

“ॐ ह्रीं श्रीं नमः पद्मायै स्वाहा, नितम्ब भाग की रक्षा करे।”

यहां भक्त मां लक्ष्मी से अपने नितम्बों की सुरक्षा की याचना करते हैं, जो कि संतुलन और मजबूती का प्रतीक होते हैं।

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“ॐ श्रीं महालक्ष्म्यै स्वाहा, मेरे सर्वांग की सदा रक्षा करे।”

इस प्रार्थना से भक्त मां लक्ष्मी से अपने सम्पूर्ण शरीर की रक्षा की याचना करते हैं।

“ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं महालक्ष्म्यै स्वाहा, सब ओर से सदा मेरा पालन करे।”

इस मंत्र से भक्त मां लक्ष्मी से अपने जीवन की सभी बाधाओं को दूर करने की प्रार्थना करते हैं, ताकि वे सभी दिशा से सुरक्षित रहें।

श्री लक्ष्मी कवच का पाठ भक्तों के लिए एक अमूल्य धरोहर है। यह न केवल उन्हें सुरक्षा प्रदान करता है, बल्कि धन, ऐश्वर्य और समृद्धि की प्राप्ति का भी मार्ग प्रशस्त करता है। इस कवच का नियमित पाठ करने से व्यक्ति अपने जीवन में सभी प्रकार की कठिनाइयों का सामना कर सकता है। मां लक्ष्मी की कृपा से जीवन में सुख, शांति, और सफलता की प्राप्ति होती है।

डिस्क्लेमर: इस लेख में दी गई जानकारी की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। यह सामग्री विभिन्न स्रोतों से संकलित की गई है और इसे केवल जानकारी के रूप में लिया जाना चाहिए। ये सभी बातें मान्यताओं पर आधारित है | adhyatmiaura.in इसकी पुष्टि नहीं करता |

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