उपनिषद: अद्वितीय ज्ञान की धरोहर

उपनिषद: अद्वितीय ज्ञान की धरोहर

उपनिषदों की संख्या और लुप्तता

उपनिषदों की संख्या मुख्यतः 108 मानी गयी है, जबकि उपनिषद इससे कहीं अधिक – लगभग 1180 – रहे होंगे। पर इनमें से अधिकांश अब लुप्त हो चुके हैं।

वेद और उनकी शाखाएँ

चार प्रमुख वेद

वेद चार हैं:

  1. ऋग्वेद: देवताओं की स्तुतियाँ।
  2. यजुर्वेद: कर्मकांड का वर्णन।
  3. सामवेद: गाने बजाने की शिक्षा।
  4. अथर्ववेद: जादू टोना और चिकित्सा।

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वेदों की शाखाएँ और उपनिषद

वेदों की कठिन भाषा और उनके अर्थों को पूरी तरह समझने के लिए उपनिषदों की रचना की गई। वेदों की शाखाएँ निम्नलिखित हैं:

  • ऋग्वेद की 21 शाखाएँ
  • यजुर्वेद की 109 शाखाएँ
  • सामवेद की 1000 शाखाएँ
  • अथर्ववेद की 50 शाखाएँ

प्रत्येक शाखा में एक उपनिषद है, जिससे कुल 1180 उपनिषद होते हैं। समय के साथ इनमें से अधिकांश लुप्त हो चुके हैं, और वर्तमान में 108 उपनिषदों का उल्लेख मिलता है।

108 उपनिषदों की सूची

  1. ईश: शुक्ल यजुर्वेद, मुख्य उपनिषद्
  2. केन: सामवेद, मुख्य उपनिषद्
  3. कठ: कृष्ण यजुर्वेद, मुख्य उपनिषद्
  4. प्रश्न: अथर्ववेद, मुख्य उपनिषद्
  5. मुण्डक: अथर्ववेद, मुख्य उपनिषद्
  6. माण्डुक्य: अथर्ववेद, मुख्य उपनिषद्
  7. तैत्तिरीय: कृष्ण यजुर्वेद, मुख्य उपनिषद्
  8. ऐतरेय: ऋग्वेद, मुख्य उपनिषद्
  9. छान्दोग्य: सामवेद, मुख्य उपनिषद्
  10. बृहदारण्यक: शुक्ल यजुर्वेद, मुख्य उपनिषद्
  11. ब्रह्म: कृष्ण यजुर्वेद, संन्यास उपनिषद्
  12. कैवल्य: कृष्ण यजुर्वेद, शैव उपनिषद्
  13. जाबाल (यजुर्वेद): शुक्ल यजुर्वेद, संन्यास उपनिषद्
  14. श्वेताश्वतर: कृष्ण यजुर्वेद, सामान्य उपनिषद्
  15. हंस: शुक्ल यजुर्वेद, योग उपनिषद्
  16. आरुणेय: सामवेद, संन्यास उपनिषद्
  17. गर्भ: कृष्ण यजुर्वेद, सामान्य उपनिषद्
  18. नारायण: कृष्ण यजुर्वेद, वैष्णव उपनिषद्
  19. परमहंस: शुक्ल यजुर्वेद, संन्यास उपनिषद्
  20. अमृतबिन्दु: कृष्ण यजुर्वेद, योग उपनिषद्
  21. अमृतनाद: कृष्ण यजुर्वेद, योग उपनिषद्
  22. अथर्वशिर: अथर्ववेद, शैव उपनिषद्
  23. अथर्वशिख: अथर्ववेद, शैव उपनिषद्
  24. मैत्रायणि: सामवेद, सामान्य उपनिषद्
  25. कौषीताकि: ऋग्वेद, सामान्य उपनिषद्
  26. बृहज्जाबाल: अथर्ववेद, शैव उपनिषद्
  27. नृसिंहतापनी: अथर्ववेद, वैष्णव उपनिषद्
  28. कालाग्निरुद्र: कृष्ण यजुर्वेद, शैव उपनिषद्
  29. मैत्रेयि: सामवेद, संन्यास उपनिषद्
  30. सुबाल: शुक्ल यजुर्वेद, सामान्य उपनिषद्
  31. क्षुरिक: कृष्ण यजुर्वेद, योग उपनिषद्
  32. मान्त्रिक: शुक्ल यजुर्वेद, सामान्य उपनिषद्
  33. सर्वसार: कृष्ण यजुर्वेद, सामान्य उपनिषद्
  34. निरालम्ब: शुक्ल यजुर्वेद, सामान्य उपनिषद्
  35. शुकरहस्य: कृष्ण यजुर्वेद, सामान्य उपनिषद्
  36. वज्रसूचि: सामवेद, सामान्य उपनिषद्
  37. तेजोबिन्दु: कृष्ण यजुर्वेद, संन्यास उपनिषद्
  38. नादबिन्दु: ऋग्वेद, योग उपनिषद्
  39. ध्यानबिन्दु: कृष्ण यजुर्वेद, योग उपनिषद्
  40. ब्रह्मविद्या: कृष्ण यजुर्वेद, योग उपनिषद्
  41. योगतत्त्व: कृष्ण यजुर्वेद, योग उपनिषद्
  42. आत्मबोध: ऋग्वेद, सामान्य उपनिषद्
  43. परिव्रात् (नारदपरिव्राजक): अथर्ववेद, संन्यास उपनिषद्
  44. त्रिषिखि: शुक्ल यजुर्वेद, योग उपनिषद्
  45. सीता: अथर्ववेद, शाक्त उपनिषद्
  46. योगचूडामणि: सामवेद, योग उपनिषद्
  47. निर्वाण: ऋग्वेद, संन्यास उपनिषद्
  48. मण्डलब्राह्मण: शुक्ल यजुर्वेद, योग उपनिषद्
  49. दक्षिणामूर्ति: कृष्ण यजुर्वेद, शैव उपनिषद्
  50. शरभ: अथर्ववेद, शैव उपनिषद्
  51. स्कन्द (त्रिपाड्विभूटि): कृष्ण यजुर्वेद, सामान्य उपनिषद्
  52. महानारायण: अथर्ववेद, वैष्णव उपनिषद्
  53. अद्वयतारक: शुक्ल यजुर्वेद, संन्यास उपनिषद्
  54. रामरहस्य: अथर्ववेद, वैष्णव उपनिषद्
  55. रामतापणि: अथर्ववेद, वैष्णव उपनिषद्
  56. वासुदेव: सामवेद, वैष्णव उपनिषद्
  57. मुद्गल: ऋग्वेद, सामान्य उपनिषद्
  58. शाण्डिल्य: अथर्ववेद, योग उपनिषद्
  59. पैंगल: शुक्ल यजुर्वेद, सामान्य उपनिषद्
  60. भिक्षुक: शुक्ल यजुर्वेद, संन्यास उपनिषद्
  61. महत्: सामवेद, सामान्य उपनिषद्
  62. शारीरक: कृष्ण यजुर्वेद, सामान्य उपनिषद्
  63. योगशिखा: कृष्ण यजुर्वेद, योग उपनिषद्
  64. तुरीयातीत: शुक्ल यजुर्वेद, संन्यास उपनिषद्
  65. संन्यास: सामवेद, संन्यास उपनिषद्
  66. परमहंसपरिव्राजक: अथर्ववेद, संन्यास उपनिषद्
  67. अक्षमालिक: ऋग्वेद, शैव उपनिषद्
  68. अव्यक्त: सामवेद, वैष्णव उपनिषद्
  69. एकाक्षर: कृष्ण यजुर्वेद, सामान्य उपनिषद्
  70. अन्नपूर्ण: अथर्ववेद, शाक्त उपनिषद्
  71. सूर्य: अथर्ववेद, सामान्य उपनिषद्
  72. अक्षि: कृष्ण यजुर्वेद, सामान्य उपनिषद्
  73. अध्यात्मा: शुक्ल यजुर्वेद, सामान्य उपनिषद्
  74. कुण्डिक: सामवेद, संन्यास उपनिषद्
  75. सावित्रि: सामवेद, सामान्य उपनिषद्
  76. आत्मा: अथर्ववेद, सामान्य उपनिषद्
  77. पाशुपत: अथर्ववेद, योग उपनिषद्
  78. परब्रह्म: अथर्ववेद, संन्यास उपनिषद्
  79. अवधूत: कृष्ण यजुर्वेद, संन्यास उपनिषद्
  80. त्रिपुरातपनि: अथर्ववेद, शाक्त उपनिषद्
  81. देवि: अथर्ववेद, शाक्त उपनिषद्
  82. त्रिपुर: ऋग्वेद, शाक्त उपनिषद्
  83. कठरुद्र: कृष्ण यजुर्वेद, संन्यास उपनिषद्
  84. भावन: अथर्ववेद, शाक्त उपनिषद्
  85. रुद्रहृदय: कृष्ण यजुर्वेद, शैव उपनिषद्
  86. योगकुण्डलिनि: कृष्ण यजुर्वेद, योग उपनिषद्
  87. भस्म: अथर्ववेद, शैव उपनिषद्
  88. रुद्राक्ष: सामवेद, शैव उपनिषद्
  89. गणपति: अथर्ववेद, शैव उपनिषद्
  90. दर्शन: सामवेद, योग उपनिषद्
  91. तारसार: शुक्ल यजुर्वेद, वैष्णव उपनिषद्
  92. महावाक्य: अथर्ववेद, योग उपनिषद्
  93. पञ्चब्रह्म: कृष्ण यजुर्वेद, शैव उपनिषद्
  94. प्राणाग्निहोत्र: कृष्ण यजुर्वेद, सामान्य उपनिषद्
  95. गोपालतपणि: अथर्ववेद, वैष्णव उपनिषद्
  96. कृष्ण: अथर्ववेद, वैष्णव उपनिषद्
  97. याज्ञवल्क्य: शुक्ल यजुर्वेद, संन्यास उपनिषद्
  98. वराह: कृष्ण यजुर्वेद, संन्यास उपनिषद्
  99. शात्यायनि: शुक्ल यजुर्वेद, संन्यास उपनिषद्
  100. हयग्रीव: अथर्ववेद, वैष्णव उपनिषद्
  101. दत्तात्रेय: अथर्ववेद, वैष्णव उपनिषद्
  102. गारुड: अथर्ववेद, वैष्णव उपनिषद्
  103. कलिसण्टारण: कृष्ण यजुर्वेद, वैष्णव उपनिषद्
  104. जाबाल (सामवेद): सामवेद, शैव उपनिषद्
  105. सौभाग्य: ऋग्वेद, शाक्त उपनिषद्
  106. सरस्वतीरहस्य: कृष्ण यजुर्वेद, शाक्त उपनिषद्
  107. बह्वृच: ऋग्वेद, शाक्त उपनिषद्
  108. मुक्तिक: शुक्ल यजुर्वेद, सामान्य उपनिषद्

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उपनिषदों का उद्देश्य

उपनिषदों का मुख्य उद्देश्य ब्रह्म अथवा आत्मा के यथार्थ स्वरूप का बोध कराना है, इसी लिए इन्हें वेदान्त भी कहा जाता है।

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